Monday, October 19, 2015

हार नहीं मानूंगी

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खुद से ये वादा है मेरा
हार नहीं मानूंगी
ऐ जिंदगी
तेरी हर ताल से 
क्दम से कदम मिला के 
दृढ़ता से चलूंगी
मेरे मन में है
उमंगों का
और अनगिनत भावों का विचारों का
सोता सा बहता
जिसकी धार से सराबोर कर दूंगी
धरा को
नामुमकिन को
मुमकिन करने का
साहस है मुझमें
सच कहती हूं
हार नहीं मानूंगी
कितनी भी कठिन हो राहें
हर राह पर
बढ़ती ही जाउंगी
खुद से खुद का वादा है
जीवन में हर दिन
कुछ न कुछ 
नवसृजन करती रहूंगी
पुरानी रूढि़यो के सहारे ही 
जीवन को ना जियूंगी मैं
हार नहीं मानूंगी...

Saturday, May 2, 2015

                                   मैट्रªो  की सवारी भाग-3


दोस्तों काफी दिनों से मैंने आपसे अपने मै मैट्रªो के सवारी के बाबत बातें शेयर नहीं की। अरे क्या बताउं हर दिन का मै मैट्रªो का सफर अलग ही रोमांच लेकर आता है। कल रात को एक फंक्शन में गई थी देर से आना हुआ। थकान लग रही थी और नींद भी पूरी नहीं हुई थी सो आॅफिस आने का बिल्कुल भी मन नहीं था, पर क्या करें जी जब आप कहीं काम कर लेते हैं, तो चाहकर भी आराम नहीं कर पातें अपने लिए छुट्टियां लेना बड़ा ओखा लगता है खासकर तब जब आपके छोटे बच्चे हों। मन मसोसकर रहना पड़ जाता है। तो मरता क्या न करता के हालात में हम भी बेमन से उठकर आॅफिस के लिए तैयार हो गये और चल पड़े व्यस्तता भरे दिन के लिए। जिसकी शुरुआत मेरी प्यारी मै मैट्रªो से होती है। जैसे ही घर की सीढि़यां उतरे वैसे ही थकान भी दूर हो गई। मन ललचने लगा कान लगाकर मै मैट्रªो में होने वाली कानाफूसी सुनने को।
सुस्ती के मारे घर से ही देर से निकली थी। जैसे ही मै मैट्रªो स्टेशन पर पहुंची मेरी आंखें वहां खड़े लोगों को देखकर चैड़ी हो गई। ध्यान से देखने लगी कि किस कोने में जाकर खड़ी हाउं जहां कुछ मजेदार बातें सुनने को मिले। थोड़ा आगे बढ़कर एक जोड़े के पास खड़ी हो गई और कनखियों से उनकी हरकतों को देखने लगी। लड़का कभी धीरे से लड़की का हाथ दबा देता तो कभी उसकी बालों को खींचने लगता और धीरे से उससे कुछ कहता और लड़की मुसकराने लगती। अभी मैं उनकी बातों में रस लेने ही लगी थी कि तभी मै मैट्रªो आ गई और मैं धक्का-मुक्की करते उसमें सवार हो गई। आगे-पीछे देखने लगी कि शायद कहीं कोई सीट मिल जाये । तबीयत ठीक ना होने की वजह से शायद मेरे चेहरे पर थोड़ी थकान लग रही थी शायद इसी देखकर एक भली लड़की अपनी सीट से खड़ी हो गई मैं उसका धन्यवाद कहकर बैठ गई। सोचा टाइमपास करने के लिए कैंडीक्रश के एक दो लेवल पार कर लूं मोबाइल बैग से निकालने ही लगी थी कि तभी देखा कि वही जोड़ा मेरे सामने खड़ा हो गया उनकी मुस्कान ने फिर मेरा ध्यान खींच लिया और मैंने अपने कान उनकी बातों पर लगा दिये उनकी प्यारी बातें सुनकर अच्छा लग रहा था। फिर उनको छोड़कर मुझे उतरना पड़ा क्योंकि मुझे दूसरी मै मैट्रªो बदलनी थी।
लाजपत नगर की मैट्रªो पकड़ने के लिए दूसरे प्लेटफाॅर्म पर पहुंची। स्टेयर्स से उतर रही थी कि उंची हील पहनी एक भारी-भरकम मोहतरमा से टकरा गयीं। मैं गिरते-गिरते बची, लेकिन उन्होंने सौरी तक कहने की जरूरत नहीं पहुंची। हाथ में मोबाइल लिये ना जाने किससे इतना बेसुध होकर व्हाटसएप पर चैट कर रही थीं कि उन्हें किसी के गिरने मरने की चिंता भी नहीं थी। मन तो आया कि मुंह पर एक झापड़ रसीद कर दूं फिर सोचा जाने दो अभी आगे बढ़ी ही थी कि कानों में एक सुरीली और खनकती सी आवाज पड़ी अरे जाओ ज्यादा बनो नहीं मैंने मुड़कर देखा काॅलेज की कोई लड़की थी जो कि अपने ब्वाॅयफ्रेंड से गुटरगूं कर रही थी मै मैट्रªो आई मैं उस में चढ़ गई साथ में वो भी चढ़ गई। अपनी आदत से परेशान मेरे कान फिर सतर्क हो गये। वो हंस-हंसकर बात कर रही थी बातों बातों में आई लव यू और पुच पुच करती किस की आवाज भी आ रही थी। सबसे बेपरवाह कौन क्या कहेगा क्या सोच रहा होगा से बेपरवाह अपनी बात करने में बिजी थी। मैंने मन में सोचा कि जमाना कितना बदल गया है सच में सभी बहुत बोल्ड हो गये हैं। पहले की तरह बातें छिपाने का नहीं बल्कि अपनी फीलिंग्स जाहिर करने का टाइम आ गया है चलो अच्छा है...
चलते हैं आॅफिस पहंचने का समय हो गया है फिर कभी गुफ्तगू करेंगे आपसे

ऐसा है प्यार तुम्हारा


घने दरख्तों की छांव सा है तुम्हारा प्यार
जिसमें शीतलता है
और
है चट्टान सी मजबूती
जिस के सहारे
उबर जाती हूं
मैं
हर उस बात से
जो
मुझे परेशान करती है
जीवन का हर तनाव
भूल जाती हूं मैं
तुम्हारी मधुर मुस्कान से
और
चल पड़ती हूं
अपनी मंजिल की ओर तुम्हारे कदम से कदम मिला
नापने को
धरती आकाश की दूरी...

Tuesday, April 21, 2015

                                                       मैटरो की सवारी -2

थोड़ा आगे बढ़ते हैं अपनी रोमांचक यात्रा पर

हां तो मैं बात कर रही थी मैटरो के सफर की बेहद रोमांचक और थ्रिल से भरा सफर होता है। मुझे अच्छी तरह से याद है कि जब पहले-पहल शाहदरा से रोहिणी के रूट पर मैटरो चली तो मन में हसरत सी लिये मैं अपनी सहेली के साथ मैटरो देखने के लिए गयी। थोड़ी-सी जलन तो हुई कि अरे ये क्या बात है हमारे रूट पर तो मैटरो चली नहीं और देखो तो जरा जिन्हें रोहिणी जाना हो या शाहदरा जाना हो उनके लिए सफर कितना सुहाना हो गया। फिर मेरी मुराद पूरी हुई और यूनिवसिर्टी से मैटरो की शुरुआत हुई और आॅफिस जल्दी पहुंचने के लालच में मैं मुखर्जी नगर से नोएडा की दूरी में थोड़ा सा योगदान मैटरो का लेने लगी, लेकिन ये थोड़ा फिजिकल नहीं हो पा रहा था क्योंकि राजीव चैक उतर कर फिर बस ही लेनी पड़ती थी नोएडा के लिए ऐसे में मैटरो में आने का सारा मजा किरकिरा हो जाता था। कुछ दिन तक तो मैं मैटरो से जाने के लालच में अपनी सहेली के साथ मैटरो में जाती रही, लेकिन फिर अपने इस हसरत से कि चलो जब मैटरो सीधी नोएडा जायेगी तब उसमें जाया करेंगे। लेकिन मजे की बात तो देखिये कि मैटरो के नोएडा पहुंचने से पहले ही मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी और घर क जिम्मेदारियों में डूब गयी। दो बच्चे हुए उन्हें बड़ा करते हुए उनके साथ समय बिताते हुए पता ही नहीं चला कि मुझे अपना काम छोड़े पूरे साढ़े पांच साल हो गये। कभी-कभी मन कचोटता भी था कि क्या है कुछ नहीं कर पा रही मन में डर भी लगता था कि कहीं ऐसा ना हो कि मैं भी मुहल्ले के औरतों में डूबकर अपनी जिंदगी के मजे निंदारस में लेने लगूं। फ्रीलांसिंग करती थी पेशे से पत्रकार हूं, तो मन में लिखने की चाहत उफान पर रहती है। जब भी समय मिलता है पन्ने काले कर लेती हूं। इसी के चलते कभी-कभार अपने पुराने मित्रों से मिलने निकल पड़ती थी। उस समय मैटरो का ही सहारा  लेती थी क्योंकि नौकरी छोड़ने के बाद कभी बस में बैठने का सुअवसर दुबारा नहीं मिला। बात ऐसी भी है कि ना कि लड़कियां शादी से पहले जितनी रफ-टफ होती हैं शादी के बाद उतनी ही ज्यादा साॅफिस्टिकेटेड हो जाती हैं मेरे साथ भी कुछ-कुछ ऐसा ही होने लगा। कहीं जाती तो आॅटो या कभी-कभी दूर जाना हो तो मैटरो। मैटरो से आते-जाते मन में अकसर ये हुड़क होती अब तो हर जगह मैटरो चल गयी है जाॅब जाॅइन कर लेती हूं कहीं। अभी के लिए इतना ही नहीं बाकी की बातें फिर कभी देर हो रही है। सामान समेटूं अपना घर जाने के लिए मेरी प्यारी मैटरो और उसमें आने-जाने वाले लोगों की रोमांचक बातें मेरा इंतजार कर रही हैं...

 


                                          मैटरो की सवारी


जब मैटरो शुरु हुई तो मन में बहुत खुशी हुई चलो जी अब बसों में धक्के नहीं खाने पड़ेंगे आराम से बैठकर जायेंगे मैटरो में एसी की ठंडी-ठंडी हवा खाते हुए। एसी की ठंडी हवा मिलने में तो कोई कसर नहीं है। पर बैठने का सपना तो सपना ही रह गया कभी-कभी कभार दया हो जाये, तो बैठ भी जाते हैं। अरे यह तो बात हुई हमारे सुविधा भोगी मन की चाहत की जो कभी भी भरता ही नहीं जितनी सहूलियत दे दो उससे ज्यादा की चाहत करता है। चलिए छोडि़ए इन बातों को सच तो यह है कि मैटरो की सवारी ज्यादा तो नहीं पर थोड़ी आरामदायक तो होती ही है। ना टरैफिक की चिल्ल-पों ना पसीने की चिपचिप। इतना ही नहीं अगर आपको बतरस का शौक है, तो फिर तो यह आपके लिए एकदम परफेक्ट जगह है। हर ओर गुट बना रहता है, जिसमें एक से एक मजेदार बातें होती हैं, जिसे ना चाहते हुए भी सुनने को मन कर जाता है। मैं तो जब घर से आॅफिस के लिए निकलती हूं तो थोड़ी सी थकान सी लगती है लगता है कि क्या लाइफ है यार एकदम मशीन हो गई है, लेकिन जैसे ही मैटरो स्टेशन पर पहुंचती हूं थकान छू मंतर हो जाती है हर दिन कोई न कोई ऐसा जरूर मिल जाता है कि पूरा रास्ता कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता। मैटरो में हर दिन होने वाली घटनाएं इतनी मजेदार होती हैं कि उस पर पूरा ग्रंथ लिखा जा सकता है। अब पूरा गं्रथ लिखने की तो मेर सामथ्र्य नहीं है, पर हां हर दिन की कुछ मजेदार चीजें तो मैं शेयर कर ही सकती हूं, तो फिर देर किस बात की आज से ही खाते हैं मैटरो की सवारी में मिलने वाली अटपटी-चटपटी खबरों की चाट देखते हैं यह सिलसिला कब तक चल पाता है, पर कोशिश तो जरूरत यही रहेगी कि जब तक कर पाउं आप सबको मजेदार तरीके से अपने अनुभवों की झलक दिखा सकूं।



Monday, April 13, 2015


                                चलो कहीं घूम के आएं हम...



सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां
जिंदगी गर मिल भी जाये नौजवानी फिर कहां...

समर वेकेशन की शुरुआत होने वाली है, तो फिर आपको अपनी छुट्टियां कहां बितानी है, इस बात का पहले से निर्धारण कर लें, ताकि अपने सीमित बजट में भी आप अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए किसी खूबसूरत जगह की सैर पर निकल सकें। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जब आप कहीं घूमने जाते हैं, तो जितना आप अपना बजट बनाकर जाते हैं उससे ज्यादा पैसे खर्च हो जाते हैं, लेकिन अगर आप कुछ सावधानियों के साथ चलें, तो ना केवल यात्रा यादगार बनेगी वरन आप उस दौरान भी कुछ बचत कर पायेंगे। 
इस संबंध में अकसर अपनी मनपसंद जगहों की सैर पर निकल जाने वाले मीडियाकर्मी रंजन झा का कहना है कि अगर आपको घूमने का शौक है, तो फिर आपको यह सोचने की जरूरत नहीं है कि पैसे ज्यादा खर्च होंगे। थोड़ी सी सावधानी बरत कर आप कम पैसों में भी पसंदीदा जगहों की सैर कर सकते हैं। मसलन  घूमने जाने की प्लानिंग पहले से ही कर लें और टिकटों की बुकिंग पहले से ही करवा लें। समय-समय पर विभिन्न एयरलाइंस सस्ती टिकटें उपलब्ध करवाती हैं उन पर नजर रखें। जब भी आपको अपने मनमुताबिक टिकट मिले बुक करवा लें। इससे किराये में काफी कमी हो जाती है और हां जाने वाली टिकट के साथ-साथ वापसी की टिकट भी पहले से करवा लें। इन सारी बातों के अलावा घूमने के लिए विकेंड पर जाने की बजाये वीक डेज में जाना प्रिफर करें। जैसे कि फ्राइडे की बजाये थर्सडे की टिकट करायें, इससे टिकट के किराये में भारी रियायत मिलेगी। अगर कार से जा रहे हैं, तो फिर गाड़ी की टंकी फुल करवा लें क्योंकि अलग-अलग जगहों पर डीजल और पेटरोल के  दामों में अंतर होता है। 
घूमने की शौकीन एमसीएल में इंगलिश एडिटर के पद पर कार्यरत यशिका का कहना है कि मुझे जब भी घूमने जाना होता है मैं उसकी प्लानिंग दो-तीन महीने पहले कर लेती हूं। ताकि घूमते समय भी किस तरह से पैसे बचाये जायें इस बारे मैं पहले से एलर्ट रहूं। टरैवलिंग करते समय अगर आप तीन-चार बातों का ध्यान रखेंगी तो अच्छे-खासे पैसे बचा लेंगी और अपने बजट में ही अपनी पसंदीदा जगह पर घूमने का पूरा मजा ले पायेंगी। अगर आपके साथ जाने के लिए कोई और फैमिली तैयार होती है, तो आप घूमने की प्लानिंग उनके साथ कर लें क्योंकि इससे आप शेयरिंग कर पायेंगी। जिसकी वजह से लोकल कन्वेंस पर आपका खर्चा आधा हो जायेगा। अगर आपके साथ आपके अलावा दो फैमिलीज हैं, तो आप अलग-अलग कमरों की बजाये काॅटेज लेना प्रिफर करें इससे आपको रहने के लिए सस्ती और अच्छी जगह मिल जायेगी और हां अगर वहां पर किचन हो तो आप खुद भी कुछ कुक कर लें इससे आप हेल्दी और सस्ता खाना खा पायेंगे। मैं तो जब भी घूमने जाती हूं अपने साथ रेडी टू ईट नूडल्स, फ्रॅूट्स आदि लेकर जाती हूं इसके अलावा अपने साथ इलेक्टिरक केटल या फिर इंडक्शन चूल्हा साथ रखती हूं। अपने लिए उस होटल का चयन करें, जिसमें एटलीस्ट ब्रेकफास्ट रूम रेंट के साथ शामिल हो। जिस होटल में ठहरे हों वहां पर खाना खाने की बजाये बाहर जाकर खाना खायें क्योंकि होटल में आपको खाने के लिए ज्यादा पे करना पड़ेगा। इन सारी बातों के अलावा एक बेहद महत्वपूर्ण बात यह है कि वहां जाकर उन चीजों की शाॅपिंग बिल्कुल ना करें, जो आपको अपने शहर में भी मिलती हों क्योंकि ट्यूरिस्ट प्लेसेज पर चीजें महंगी मिलती हैं। 


इन बातों का रखें ध्यान

घूमते समय कुछ-कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप सीमित बजट में घूमने के साथ-साथ सेविंग भी कर सकती हैंः
  • घूमने के लिए हमेशा पहले से ही प्लानिंग कर लें, ताकि समय पर टिकटों की बुकिंग करायी जा सके। टिकटों की बुकिंग कराते समय वापसी की टिकट भी बुक करवा लें।
  • अपने साथ खाने का रेडीमेट सामान रेडीमेड नूडल्स, फ्रॅूट्स, नमकीन, बिस्किट आदि लेकर जायें।
  • जिस जगह पर जाना है उसके बारे में जानकारी पहले से ही इकट्ठी कर लें। होटल ट्यूरिस्ट प्लेस के आस-पास ही लें, जिससे कि घूमने के लिए प्राइवेट टैक्सी लेने की जरूरत ना पड़े।  पहले से ही होटल की बुकिंग करवा लें। अगर एक से ज्यादा परिवार हैं, तो फिर होटल में कमरे लेने की बजाये काॅटेज लें। इसके अलावा बड़ा रूम लेकर उसमें एक्सटरा बेड लगवा लें। 
  • बहुत बड़े रेस्टोरेंट्स में खाने की बजाये। अच्छे ढाबे पर खाना खायें। अगर आप जहां पर ठहरे हैं, वहां पर खाना पकाने का विकल्प है, तो एकबार का खाना खुद ही बना लें।
  • रहने के लिए हाॅस्टल्स, लाॅज का चयन करें।
  • शाॅपिंग करते समय बड़ी शाॅप्स पर जाने की बजाये उस जगह की लोकल मार्केट से शाॅपिंग करें। वहां से वही चीजें खरीदें जो वहां की खास चीजें हों। बच्चों के साथ हैं, तो फिर उन शाॅप्स पर ना जायें, जहां बच्चों के महंगे खिलौने मिलते हों।
  • घूमने के लिए प्राइवेट टैक्सी करने की बजाये पब्लिक टरांसपोर्ट का इस्तेमाल करें यह सेफ भी होता है और सस्ता भी।
  • जिस जगह पर टरेन और रोडवेज की सुविधा हो वहां प्लेन से जाने से बचें। इससे ना केवल पैसे बचेंगे वरन आप साइट सीन का मजा भी ले पायेंगे।
  • अपने फोन में रोमिंग फेसिलिटी एक्टिवेट करवा लें, जिससे की टूरिंग के दौरान भी आप सस्ती काॅलरेट में बात कर सकें।
  • अपने सामान की पैकिंग करते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि आपके सामान में वो सारी चीजें हो जिनकी आपको घूमने के दौरान जरूरत पड़ सकती है। नहीं तो आपको वहां पर जाकर बेकार में अमुक वस्तु की खरीदारी के लिए पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
  • जिस जगह जा रहे हैं कपड़ों की पैकिंग वहां के मौसम के हिसाब से करें, ताकि आपको वहां पर जाकर कपड़ों की खरीदारी न करनी पड़े।




Friday, April 3, 2015

                        संयुक्त परिवारः खुशियों का संसार

वर्तमान में कामकाज के चलते या फिर यूं कहें कि आपसी मतभेद के चलते एकल परिवारों का चलन कम होता जा रहा है, लेकिन आज भी कुछ परिवार ऐसे हैं, जो साथ रहते हैं उनमें दादा-दादी, ताई-ताया, चाचा-चाची सभी हैं। सामान्य जन-जीवन में ही नहीं कई सिलेब्रिटी भी ऐसे हैं, जो संयुक्त परिवार में रहते हैं आइये जानें संयुक्त परिवार के फायदों की कहानी राजलक्ष्मी त्रिपाठी की जुबानी

दिल्ली के इंद्राविकास काॅलोनी में हरनाम चैधरी अपने दो बेटों पत्नी और मां के साथ रहते हैं इनके परिवार में इतनी एकता और प्यार है कि आस-पास के लोग भी उन्हें देखकर कहते हैं कि परिवार हो तो ऐसा उनकी बहुएं रश्मि और किरण दोनों घर के सारे काम मिलजुलकर करती हैं बड़ी बहु किरन के तीन और छोटी के दो बच्चे हैं बच्चे भी आपस में मिलजुल कर रहते हैं उनका अपना स्कूल है और प्राॅपर्टी का काम भी है। उनका बड़ा बेटा स्कूल का काम देखता है और छोटा बेटा नोएडा में इंजीनियर है वह दिल्ली से रोजाना नोएडा आनाजाना करता है, लेकिन कभी अलग रहने के लिए नहीं सोचता एक दिन उनकी छोटी बहू रश्मि से बात हुई तो बताने  लगी भाभी जी संयुक्त परिवार में रहने में थोड़ी सी तकलीफ है तो फायदे बहुत ज्यादा हैं कहीं बाहर जाने पर आपको यह टेंशन नहीं रहती है कि बच्चे किसके पास रहेंगे।
इसी तरह से बद्रीनाथ के रहने वाले शिवमोहन डिमरी दिल्ली में माॅडल टाउन में संयुक्त परिवार में रहते हैं उनके तीन बेटे-बहुएं और पोते-पोती सभी साथ में रहते हैं उनके परिवार में चाहे बेटे हो या बहुएं आपस में बेहद प्यार और सौहार्द्र है उनके तीनों बेटे अच्छे पदों पर काम करते हैं एक बेटा पैरोडिकल साइंस से है दूसरा फोटो जर्नलिस्ट है और तीसरा एक अच्छी फर्म में सीए है।
आज जहां सभी लोग अलग-थलग अपनी दुनिया बसाना चाहते हैं वहां आज भी बहुत सारे  लोग ऐसे हैं, जो संयुक्त परिवार में ही रहना चाहते हैं भले ही संयुक्त परिवार में कभी-कभार आपस में किसी बात को लेकर मतभेद हो जाये, लेकिन सच तो यह है कि यहां एकल परिवारों के मुकाबले हंसी-खुशी का माहौल ज्यादा रहता है इसका कारण है काम का और खर्चों का उचित बंटवारा।

टीवी सीरियलों और फिल्मों में है ज्वांइट फैमिली का बोलबाला


टीवी पर दिखाये जाने अधिकांश धारावाहिकों में ज्वांइट फैमिली को दिखाया गया है। क्योंकि सास भी कभी बहू थी, घर हो तो ऐसा, वो रहने वाली महलों की आदि समेत वर्तमान मंे स्टार प्लस पर आने वाला धारावाहिक साथ निभाना साथिया हो या फिर जंयती लाल की ज्वांइट फैमिली इन धारावाहिकों में संयुक्त परिवार के फायदों के बारे में बताया गया है कि किस तरह से एकसाथ रहने से सारी मुश्किलें चुटकियों में निबट जाती है। सिनेमा में भी संयुक्त परिवार को बखूबी भुनाया गया है। रेखा और राकेश रोशन अभिनीत फिल्म खूबसूरत में ज्वांइट फैमिली के संबंधों को बहुत ही बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है। यह पहले की सिर्फ पुरानी फिल्मों में ही नहीं है आजकल आने वाली फिल्मों में भी संयुक्त परिवार को दिखाया और उसके महत्व को दर्शाया जाता है। राजश्री प्रोडक्शन की तो अधिकांश फिल्में संयुक्त परिवार पर आधारित होत हैं हम आपके हैं कौन, हम साथ-साथ हैं आदि।

सेलिब्रिटीज भी रहते हैं ज्वांइट फैमिली में

ऐसा नहीं है कि सिर्फ आम आदमी ही संयुक्त परिवार में रहते हैं सेलिब्रिटीज भी ज्वांइट फैमिली में रहते हैं जब तक पृथ्वी राजकपूर और राजकपूर थे तब तक उनके तीनों बेटे और बहुएं साथ में रहते थे बाद में सब अलग हो गये वर्तमान में सलमान खान और धर्मेंद्र संयुक्त परिवार में रहते हैं इनके परिवार में जितनी युनिटी है शायद ही कहीं देखने को मिले।

क्या है संयुक्त परिवार के फायदे

  •  जिम्मेदारियों का बंटवारा
  • बच्चों की परवरिश में आसानी संयुक्त परिवार में रहने वालों बच्चों में स्वभावतः शेयरिंग की भावना आती है तथा  उनमें संस्कार और रिश्तों की परख न्यूक्लियर फैमिली के बच्चों से ज्यादा होती है।
  •  दुख-तकलीफ में एकदूसरे की मदद को कई हाथ तैयार रहते हैं।
  • पति-पत्नी के रिश्ते बेहतर रहते हैं कारण मनमुटाव होने पर घर के बाहरी लोग समझा-बुझाकर उनका झगड़ा खत्म करवा देते हैं।
  •  कहीं बाहर जाना हो तो सेफ्टी के लिए नहीं सोचना पड़ता है।